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ये कविता हर निराशा को एक उम्मीद देगी || This poem will give hope to every disappointment ||

क्या अब तू थोड़ा मुस्कुराना चाहेगा........ 

तेरे आँखों में जो ख्वाब अधूरे है, तू उसे रोशन करना चाहेगा। 
दुनिया की जुबाँ से निकम्मा या मुकद्दर का सिकंदर सुनना चाहेगा।। 
क्या अब तू थोड़ा मुस्कुराना चाहेगा......... 

कल तक जो बुरा था, उसे भूलने के लिए जब तू कदम बढ़ायेगा।  
देखना उम्मीद की परियाँ, तेरे कदमो में जित के फूल बिछायेंगी।।
क्या अब तू थोड़ा मुस्कुराना चाहेगा......... 

माँ से किये वादे को तू ऐसे भूल जायेगा,
पापा ने जो तेरे लिए ख्वाब सजाये है    
क्या उसे तू पूरा करना चाहेगा। 
क्या अब तू थोड़ा मुस्कुराना चाहेगा.........  

कल तू जिस मुकाम का पीछा करता था,
वो तेरे कदमो में गिर जायेगा। 
बस तू हौसला रखना उम्मीद मत तोडना, 
तेरे हर दिन को ये बेहतर ये बनाएगा।।
ये याद रखना अगर मुश्किलों का पहाड़ भी होगा, 
तो उसे तोड़ने का तुझे हौसला आएगा।।  
 क्या अब तू थोड़ा मुस्कुराना चाहेगा......... 

       Author...... Satyam singh

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