माँ के प्यार पर लिखी गयी ये अनोखी कविता आपकी आँखे भर देंगी || This unique poem written on mother's love will fill your eyes ||
तेरा गुनहगार हूँ माँ,
आज भी याद है,
जब तुम तपती धूप में काम करके घर आती थी
मेरा राजा बेटा कहाँ है बोल के दौड़ते हुए मुझे गले से लगाती थी,
शाम को खाने में मेरे लिए खीर और पूरी बनाती थी,
...... उठ जा ना माँ ........
तेरा गुनहगार हु माँ |
जब मैं स्कूल,
बैग के लिए कई दिनों तक नहीं गया था,
तू उधार माँग के लायी थी,
उनके घर कई दिनों काम करके उनका कर्ज चुकायी थी,
ऐसे दुष्ट नालायक को माँफ कर दे ना,
...... उठ जा ना माँ ........
तेरा गुनहगार हु माँ |
याद है माँ,
जब मैने साईकल के लिए जिद किया
तूने महीने भर, लोगो से कई घंटे ज्यादा काम किया था हाँ,
जब मैं उस लड़की को जिसे मै प्यार करता था,
तेरे सामने लाया था,
तूने मेरी ख़ुशी के लिए, कि बहू है मेरी ये बोल के गले लगाया था
...... क्या तुझे कुछ याद नहीं .......
माफ़ भी कर दे, अब उठ जा ना माँ
तेरा गुनहगार हु माँ |
जब मै शादी करके अपनी वाइफ के साथ विदेश जा रहा था,
तूने बस इतना कहा था, वह जाना जरुरी है क्या?
मैंने बोला था, हाँ माँ वह जाना जरुरी है,
इसके बाद तूने बिना शिकायत के मुझे गले लगाया था,
गलती हो गई माफ़ कर दे ना,
आज देख तेरे सामने बैठा हूँ जो चाहे कर लेना,
(लड़के के सर पर हाथ रखते ही हार्ट वाली लाइन सीधी हो जाती है लड़का तेज तेज से चिल्लाता है,
और फिर बोलता है कि तेरा गुनहगार हु माँ | )
Author.... Satyam Singh
Author.... Satyam Singh
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