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जिन्दगी की सारी मुसीबतें मुश्किलें दूर हो जाएँगी | अगर ये बात जान लिया तो (ART OF SPEAKING)

पनी कई समस्याओ के लिए कई बार हम स्वम जिम्मेदार होते है, हर जगह बात करने की आदत कई बार हमें मुस्किलो में भी डाल देती है |   कई बार ऐसा भी होता है कि हम सोचते है की अब हमने कह दिया | अब ना चाहते हुए भी ये काम करना ही पढ़ेगा अब मुँह से जो बात निकल गयी उसे कैसे बदल सकते है | खुद की कही बातो में हम खुद ही उलझ के रह जाते है | कई बार क्रोध में आ कर किसी को ऐसे शब्द कह जाते है जिसके लिए बाद में पश्ताना पढ़ता है आपने तो क्रोध में बोल  दिया पर सामने वाला इन बातो को भूल नहीं पाता | आपको शायद ये एहसास भी नहीं होता कि आपके शब्दो का उसके दिल पर क्या असर हुआ है | कई बार मुँह से निकले शब्द रिश्तो को भी तोड़ देते है इसलिए "शब्द सम्भाल के बोलिये शब्द के हाथ है न पाव एक शब्द औषधि करे और एक शब्द करे घाव है " आपका एक शब्द किसी की जिंदगी भर का घाव बन सकता है और आपका एक शब्द किसी की जीने की वजह बन सकता है आप विचार करे की आपकी वाणी कैसी है | कई बार लोग कहते है की हम तो सच कह देते है फिर किसी को मिर्ची लगे तो लगे | आप सच कहते ही इसलिए है कि किसी को चोट पहुँचे उसको बात चुभनी चाहिए | जब किसी से काम निकालना हो ना तब सच नहीं निकलता मुँह से तब झूठी प्रसंसाएँ निकलती है सच अक्सर लोग तभी कहते है जब किसी को चोट पहुंचानी हो | यदि आपकी वाणी मधुर नहीं आपके वाणी से किसी के दिल को चोट पहुंचती है किसी का दिल टूट जाता है तो आपको सच बोलना भी अभी नहीं आया "कटुता को मन से त्याग दो मीठे वचन कहो वाणी का स्वर सुधार लो बस हो गया भजन" यदि  आपकी वाणी में मिठास है तो उस वाणी के मिठास में इतना प्रभाव है कि वो आपकी पूरी जिन्दगी में मिठास भर सकती है "If have don't have a money in your pocket must have honey on your tongue" आपके पास धन हो या न हो पर यदि आपकी वाणी मधुर होगी तब सब आपका सम्मान करेंगे आप स्वयम भी उसी व्यक्ति का सम्मान करोगे जो मीठा बोलता है तीखा और कड़वा बोलने वाले व्यक्ति से सब दूर भागते है कि कौन सुनेगा इनको | कड़वे और तीखे शब्द किसी से भी नहीं सुने जाते आप भी नहीं सुन पाएंगे | तो आपके बोले कड़वे शब्द कोई और कैसे सुन सकता है "खुदा को भी शक्ति पसंद न थी बयान में इसलिए तो हड्डी नहीं दी जुबान में " तो क्या बोलना है, कैसे बोलना है, कहाँ बोलना है, कितना बोलना है, यदि हमें इन सब बातो की समझ हो जाये तो जिन्दगी की सारी उलझनो से हम दूर हो जाये |                                                                                                                     
  एक बार राजा भोज अपनी रानी के महल में गये उनकी रानी अपनी सखियों के साथ बैठकर बाते कर रही थी | तभी राजा वहाँ आ गए और  रानी से कुछ कहने लगे तो रानी बोली आओ मुर्ख ये सुन के राजा को बहुत बुरा लगा कि रानी ने मुझे मुर्ख क्यों बोला | राजा उस समय तो  वहाँ  से चला गया और अपनी सभा में आकर बैठ गया  फिर वहाँ  जो भी आता राजा उससे कहता की आओ  मुर्ख सबको लगा कि आज राजा को क्या हो गया है क्यों सबको मुर्ख बोल रहे है और कोई भी राजा के डर से कुछ कह नहीं पाया | फिर उनकी सभा में कालिदास जी भी आये जो भारत में संस्कृत के महाकवि भी माने जाते है राजा ने उनको भी कहा कि आओ मुर्ख तो कालीदास जी ने उनसे कहा "जो खाते हुये चलता है, जो बात करते-करते हँसता है, जो बीती बातो शोक करता है और जो अपने किये गए काम का अभिमान करता है और जो दो व्यक्तियों के बीच आ के बोलता है " इन पाँचो को को मुर्ख कहा जाता है और मैंने इन पाँचो बातो में से ऐसी कोई भी क्रिया नहीं की | ऐसी कोई भी हरकत नहीं की तो आप मुझे मुर्ख क्यों कहते हो |  तब राजा को समझ में आया कि रानी ने मुझे मुर्ख इसलिए कहा क्युकि रानी अपनी सखियों से बाते कर रही थी और मै बीच में बोला | तो कहाँ  बोलना है कब बोलना है कैसे बोलना है कितना बोलना है यदि हमको इस चीज की समझ नहीं होगी तो हमारे बोलने से हमेशा कोई न कोई उलझन खड़ी हो जाएगी आप कभी विचार करना जितना भी आप बोलते है क्या आपको उतनी बाते करने  जरुरत है  कभी ध्यान देना जितना आप सारे दिन में बोलते है अगर उसका 90% ना भी बोले तो भी आपका काम चल जायेगा | जो इंसान बहुत ज्यादा बोलता सब उससे दूर भागते है कि इसके पास बैठे तो इसकी बाते सुननी पड़ेंगी | तो उतना ही बोले जितना जरूरी हो, उतना बोले जितना लोग आपको सुनना चाहे | मौन में बढ़ी ताकत होती है यदि कोई मुर्ख व्यक्ति मौन करके बैठ जाये तो वो भी लोगो को विद्वान सा लगता है | ज्यादा बोलने वाले लोग अक्सर उलझनों में फस जाते है आप कभी एक प्रयोग करके देखना कही चार लोग आपस में बाते कर रहे हो | वहाँ आप खड़े होकर उनकी बातो को सुनना पर खुद कुछ मत बोलना थोड़ी देर में आपको लगेगा कि कितनी फालतू बाते कर रहे है ये लोग कोई मतलब नहीं इन बातो का पर जब आप खुद भी उसके साथ उनकी बातो में लग जाते हो तो आपको पता भी नहीं चलता की आप स्वयम भी व्यर्थ की बाते कर रहे हो | हमारी जिंदगी के कितने झगड़े दूर हो जाये अगर हम ये सीख जाये कि कब चुप रहना है और कब बोलना है हर जगह चुप रहना भी अच्छा नहीं और हर जगह बोलना भी अच्छा नहीं | हमने देखा है लोगो को कि किसी की कही हुई बातो को वो जीवन भर नहीं भुला पाते ह्रदय में बैठ जाते है शब्द | किसी के प्रिय वचनो को लोग ह्रदय में बैठा लेते है कई बार किसी की कही कड़वी बातो को भी लोग ह्रदय से नहीं निकाल पाते | आपको आपके जीवन में कौन सा स्थान मिलेगा वो आपके बोलने पर निर्भर करता है कि आप कैसे बोलते है आपके बोलने पर निर्भर करता है की आपको सम्मान जनित जीवन मिलेगा या आपको अपमान मिलेगा | आपके बोलने पर निर्भर करता है कि लोग आपको प्यार करेंगे या लोग आपसे परेशान रहेंगे और चीजों की चाहे हमें समंझ  हो या नहीं हो पर इतना जरूर करे की अपनी बोल चाल को थोड़ा संयमित करे सभ्य करे जितना हम बोलते है उतना हमें बोलने की जरुरत नहीं | अगर हमारे पास धन है और अगर उसे जरूरत से ज्यादा खर्च करेंगे तो हो सकता है कि एक दिन हमें तकलीफ हो जाये | ऐसी ही वाणी है जरुरत से ज्यादा इसका उपयोग करने पर हमें परेशानियो का सामना करना पड़ता है कई बार लोग कहते है कि अच्छा हुआ कि  हम उस परस्थिती में चुप रहे हमने कुछ बोला नहीं अगर बोलते तो फस जाते हम कई बार बोल के खुद को खुद फसा लेते है फिर कहते है कि  क्या करे | अपनी वाणी को संयमित कीजिये जिससे आपका भला हो जिससे सबका भला हो किसी का दिल टूट जाये ऐसी वाणी मत बोलिये हाँ सच बोलिये सच बोलना भी चाहिए पर अपनी सच्चाई में थोड़ी मधुरता भी लाइये | आप अपनी वाणी को ऐसा बनाइये की हर कोई आपको सुनना चाहे कि थोड़ा और बोलो ऐसी वाणी मत बनाइये कि लोग कहे बस चुप करो | आप चाहे तो अपनी वाणी से सब कुछ प्राप्त कर सकते है और आप चाहे तो अपनी वाणी से सबकुछ गवा भी सकते है सब आपके हाथ में है आपकी वाणी का प्रभाव आपके रिश्तो में आपके जीवन में आपके परिवार पे सब जगह पड़ता है |         
तीन इंजीनियर एक अरब मुल्क में काम करने को गये वहाँ उनसे कोई चूक हो गयी तो वहाँ के जो शेख थे उन्होंने तीनो को मौत की सजा सुना दी | अब तीनो को जब मौत की सजा सुनाई तो तीनो की साँस अटक गयी लेकिन बचने का कोई रास्ता नहीं तो अब वो क्या करे फिर तीनो को ले जाया गया और उन्हें एक टेबल पर लेटने के लिये कहा गया पहला व्यक्ति गया वो एक टेबल पर लेट गया एक आरी चलके आने वाली थी वो आरी घूम के आती उनके गर्दन को काट देती उसने भगवान से प्रार्थना की पर उसको समझ में आ गया था की बचने का कोई रास्ता नहीं आरी घूमते-घूमते आयी और उसके गर्दन के पास आ के करर आवाज करके रुक गयी तो उस शेख ने कहा अल्लाह की मर्जी है इसकी जान बचने की मै क्या कर सकता हूँ और शेख ने बोला जाओ तुम्हारी जान बक्छ दी | फिर दूसरे इंजिनियर की बारी आयी और उसे भी टेबल पर लेटने को कहा गया और वो टेबल पर लेट गया | मशीन को फिर से स्टार्ट किया गया और आरी फिर से घूमते घूमते आयी और उस इंजीनियर के गर्दन के पास आ के रुक गयी और उस दूसरे इंजीनियर के जान में जान आयी तो शेख कहता है कि इस बार अल्लाह बहुत मेहरबान है अल्लाह की मर्जी है इसे बचाने में और उसको भी छोड़ दिया जाता है वो तीसरा इंजीनियर बहुत देर से ये सब देखता है वो टेबल पर लेट के  बोलता है कि शेख क्या तब से अल्लाह की मर्जी अल्लाह किये जा रहे हो ये जो आरी घूम के आ रही है उसका नट ढीला है इसलिए यहाँ तक पहुँच के एक जगह पर रुक जाती है और उसके बाद उस नट को टाइट कर दिया जाता है फिर वो आरी उस तीसरी इंजीनियर की गर्दन को काट देती है |
तो कम बोलता तो बच जाता कम बोलने में हमेशा जोड़ने की जगह होती है जिंदगी में | ज्यादा बोलने में माइनस करने की कोई जगह नहीं होती एक और बात याद रखियेगा काम बोलने वाले का सम्मान होता काम बोलने वाले की इज्जत होती है कम बोलने वाले के बारे में लोग सोचते है कि बहुत सोच समझ बोलता है कम बोलने वाले को लोग बोलते है कि बहुत तौल कर बोलता है कम बोलने वाले को लोग कहते है कि जब बहुत खास बात आती है तो ही ये बोलता है अन्यथा बीच में हस्तछेप नहीं करता है कम बोलने वाला चूकि काम बोलता है इसलिए सामने वाले को लगता है कि मेरी पूरी बात सुनी जा रही है और वो बहुत खुश हो जाता है क्युकि उसे श्रोता मिल जाता है कम बोलने वाला किसी विषय पर नहीं भी जानता हो तो भी वो अझानी नहीं कहलाता क्युकि उसने बोला नहीं | ज्यादा बोलने वाला जब किसी विषय पर नहीं जानता तो अपना अझान बोल-बाल के प्रकट कर देता है | इसलिए बिना कारण  नहीं बोलना चाहिए जहाँ आवश्यता हो 4 शब्दो की वहाँ 40 शब्द मत बोलिये, शब्दों को पैसे की तरह खर्च करिये आपका एक-एक शब्द किमती है तो यदि आपको ज्यादा बोलने की बीमारी है, बिना मांगे ज्ञान देने की बीमारी है बिना मांगे सलाह देने की बीमारी है, दो लोगो के बीच में बोलने की बीमारी है, जबर्दस्ती किसी योजना को जा के ध्वस्त कर देने की बीमारी है तो संसार में आपको इज्जत कभी नहीं मिलेगी, आपको सम्मान कभी नहीं मिलेगा , इसलिए उतना ही बोलिये जितना आवश्यक हो , तौल करके बोलिये और हर शब्द को पैसे की तरह खर्च करिये

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