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Showing posts from October, 2019

अपने मन की एकाग्रता को कैसे हासिल करे?|| How to gain concentration of your mind?

' ए काग्रता ही सभी प्रकार के ज्ञान की की नींव है; इसके सिवा कुछ भी करना सम्भव नहीं है|'  (स्वामी  विवेकानन्द)  ए काग्रता में ही सफलता का सारा रहस्य निहित है - इस बात को समझ लेने वाले सचमुच ही बुद्धिमान है | एकाग्रता को केवल योगियों के लिए ही आवश्यक समझना एक बड़ी भूल है | एकाग्रता प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है, भले ही वह किसी भी कार्य में  क्यों न लगा हो | देखने में आता है कि लौहकारो, नाइयो, स्वर्णकरो तथा जुलाहों में सहज रूप से ही एकाग्रता विकसित हो जाती है हथौड़ा चलाते समय लोहार यदि जरा -सा भी चूक जाय, तो सम्भव है की वह अपने ही हाथो को कुचल डाले; नाई का उस्तरा यदि गलती से फिसल जाय, तो त्वचा में घाव हो जाने की आशंका है; यदि बढ़ई की पकड़ रुखानी से ढीली पड़ी, तो हो सकता है कि वह अपने आंगुठे से ही हाथ धो बैठे | इसी प्रकार सुनार का कार्य भी नि:संदेह अत्यंत जटिल है | बुनकर यदि अपने करधे पर दृष्टि स्थिर रखे, तभी वह अच्छी गुणवता वाले कपडे बुन सकता है | परन्तु इसमें से कोई व्याख्यान सुनकर पुस्तकों की सहायता से एकाग्रता का अभ्यास नहीं करता |  उनके कार्यो की आवश्यक के अनुसार उत्पन्न

जिन्दगी की सारी मुसीबतें मुश्किलें दूर हो जाएँगी | अगर ये बात जान लिया तो (ART OF SPEAKING)

अ पनी कई समस्याओ के लिए कई बार हम स्वम जिम्मेदार होते है, हर जगह बात करने की आदत कई बार हमें मुस्किलो में भी डाल देती है |   कई बार ऐसा भी होता है कि हम सोचते है की अब हमने कह दिया | अब ना चाहते हुए भी ये काम करना ही पढ़ेगा अब मुँह से जो बात निकल गयी उसे कैसे बदल सकते है | खुद की कही बातो में हम खुद ही उलझ के रह जाते है | कई बार क्रोध में आ कर किसी को ऐसे शब्द कह जाते है जिसके लिए बाद में पश्ताना पढ़ता है आपने तो क्रोध में बोल  दिया पर सामने वाला इन बातो को भूल नहीं पाता | आपको शायद ये एहसास भी नहीं होता कि आपके शब्दो का उसके दिल पर क्या असर हुआ है | कई बार मुँह से निकले शब्द रिश्तो को भी तोड़ देते है इसलिए "शब्द सम्भाल के बोलिये शब्द के हाथ है न पाव एक शब्द औषधि करे और एक शब्द करे घाव है " आपका एक शब्द किसी की जिंदगी भर का घाव बन सकता है और आपका एक शब्द किसी की जीने की वजह बन सकता है आप विचार करे की आपकी वाणी कैसी है | कई बार लोग कहते है की हम तो सच कह देते है फिर किसी को मिर्ची लगे तो लगे | आप सच कहते ही इसलिए है कि किसी को चोट पहुँचे उसको बात चुभनी चाहिए | जब किसी से काम